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दिनचर्या को पालन करने का महत्व

Writer's picture: Aarushi SharmaAarushi Sharma

Updated: Apr 24, 2022

दिनचर्या - पालन का महत्व

आज हम दिनचर्या का पालन करने के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा करने जा रहे हैं।

हम सबने यह गाना सुना है - "जो रात को जल्दी सोए और सुबह को जल्दी जागे, उस बच्चे से दूर दूर, दुनिया का दुःख भागे”


आमतौर पर, माता -पिता या अभिभावक अपनी दिनचर्या के अनुरूप बच्चों के लिए भी समय- सीमाएं निर्धारित करें। बच्चा छोटा हो तब भी उसे दिनचर्या में शामिल अवश्य करें। उसके लिए भी एक टाइम टेबल बनाएं जिस में माता-पिता या अभिभावक स्वयं भी सम्मिलित रहें।

बच्चे की दिनचर्या में निम्न गतिविधियों के लिए समय निर्धारित करें

१) सुबह जागने का समय, दोपहर मे सोने का समय, रात मे सोने का समय।

२) सुबह और रात मे ब्रुश करना, रोज़ कसरत– व्यायाम, योग करना, समय से नहाना – धोना

३) सुबह और शाम को खेल का समय निर्धारित करना – घर के अंदर और बाहर के खेल

४) पढ़ने का समय निर्धारित करना।

५) मोबाइल और टीवी देखने का समय निर्धारित करना।

६) घर के काम में बच्चों से सहयोग लेना।




निर्धारित समय पर सब काम करने से बच्चे एक दिनचर्या (रूटीन) के आदि हो जाते हैं। उनको खुद से एहसास हो जाता है कि कब पढ़ने का समय है, कब सोने का, कब खेलने का और कब मोबाइल देखने का। अगर उनके टाइम टेबल में हम केवल पढ़ाई का समय रखेंगे तो वह सार्थक नहीं हो पाएगा। बच्चों के लिए खेल कूद और उम्र के अनुसार मनोरंजन भी ज़रूरी है।

माता पिता, टाइम टेबल मे कुछ कार्य ऐसे जोड़ें जो सब लोग साथ मिल कर करें, तो इसका पालन करना और आसान हो जाएगा। जैसे – सब एक साथ नाश्ता करें, एक साथ टीवी / मोबाइल देखें। एक साथ रात का भोजन, एक साथ रात को सोने जाएँ। सोने से पहले गुजरे दिन के बारे मे चर्चा करें, क्या सीखा, कल क्या करना है, कहानी सुनाएँ, सुनें इत्यादि। माता पिता को कुछ कार्य बच्चों के साथ मिल के करने ज़रूरी हैं। इस के लिए उन्हें समय निकालना चाहिए। जैसे कुछ देर पढ़ाते समय साथ बैठना, खेलते समय साथ रहना। मोबाइल देखते समय इस बात का ध्यान रखना कि बच्चे मोबाइल पर क्या देख रहे हैं। बच्चो को आपस में खेलने के लिए ज़रूर प्रेरित करें। इस से बच्चों का शारीरिक विकास के साथ सामाजिक और भावनात्मक विकास भी होता है। आजकल के वातावरण मे बहुमुखी विकास ज़रूरी है।

गर्मी कि छुट्टियों में बच्चे अपने रिश्तेदारों के घर भी जाते हैं, ऐसे मे उन्हें एक नई दिनचर्या अपनानी पड़ती है। इसमे एक दिनचर्या (रूटीन) को अपनाना कठिन लगता है, और सब लोगों द्वारा किए जाने वाले कार्यों का समय बदल जाता है। यह भी परवरिश का एक ज़रूरी अंग है। माता पिता को कोशिश करनी चाहिए कि बच्चे अपने टाइम टेबल का अनुसरण करें। यह बात ध्यान देने लायक है कि कभी कभी अनिश्चित बातों कि वजह से हम एक रूटीन या टाइम टेबल का अनुसरण नहीं कर पाते। अपनी योजनाओं को थोड़ा लचीला बनाना भी ज़रूरी है। परिवार मे हो रही महत्वपूर्ण घटना को अपने प्लान मे समायोजित करना ज़रूरी है। अगर यह नहीं कर पाएंगे तो हम हताश हो जाएंगे और एक दूसरे पर अपना गुस्सा निकालने लगेंगे। बच्चे हमें देख कर वही करेंगे।

माता पिता और अभिभावकगण बच्चों के सामने एक आईने के समान होते हैं। बच्चे वही करते हैं, जो वह अपने से बड़े लोगों को करते हुए देखते हैं। अगर हम एक अच्छी दिनचर्या का अनुसरण करेंगे और समय से सब कार्य करेंगे, तो बच्चे भी वही करेंगे। जो कार्य हम खुद नहीं कर पाते हैं, उन्हे बच्चों से करवाने की उम्मीद रखना सही नहीं है। यह कठिन है, लेकिन बच्चो के उज्ज्वल भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।

आजकल लगभग सबकी गतिविधियां घर के अंदर तक ही सीमित हैं। और इस माहौल मे अभी बच्चों को घर पर ही पढ़ाना है। PRISTINE ACADEMY की वर्क-शीट को बनाते समय सभी तरह के कौशल विकास को ध्यान में रखा गया है। परंतु अब बच्चे स्कूल नहीं आ पा रहे हैं इसलिए बहुत ज़रूरी है कि माता पिता घर के लिए एक समय सारणी बनाएँ। केवल किताबें पढ़ने और कार्यपत्रक भरने से ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता है। एक अच्छा छात्र बनने का पहला कदम एक अच्छी दिनचर्या का पालन करना है।

माता-पिता या अभिभावक, सभी से अनुरोध है कि वे दिनचर्या बनाएं पर सदैव ध्यान रखें कि बालक के मन पर इसका किंचित भी दबाव न पड़े उसका जागना-सोना, व्यायाम, खेल कूद, खाना –पीना , पढ़ाई- लिखाई आदि सभी अच्छे काम ऐसे करें कि उन्हें उन सभी में आनंद की प्राप्ति हो।

धन्यवाद ।

इस विषय मे अपने विचार ज़रूर साझा करें।

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